गिद्ध



गिद्ध नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की एक महत्वपूर्ण कड़ी है । कुदरत ने इसे एक मुर्दाखोर के रूप में पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने का कार्य सौंपा है, जिसे उसने बखूबी निभाया है । यह मृत पशुओं का भक्षण कर पर्यावरण को साफ़-सुथरा रखते है । एक तरह से गिद्ध मानव समाज के साथी है । लेकिन मानवीय लापरवाही की वजह से गिद्धों के अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है ।

हमारे देश में गिद्धों की संख्या एकाएक कम हो गई, इसके कई बड़े कारण है । दरअसल भारत में पशुओं की बीमारियों के उपचार के लिए डिक्लोप्लस नामक दवा का धड़ल्ले से प्रयोग किया जाता है । इस दवा मे डिक्लोफैनेक सोडियम और पैरासिटामोल की मात्रा होती है । उपचार के वक्त यह दवा पशुओं के शरीर में जाती है । पशुओं की मृत्यु के बाद गिद्ध जब उनके मांस का सेवन करते है तो यह दवा उनके शरीर में पहुंच जाती है । वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक़, डिक्लोफैनेक सोडियम ऐसा पदार्थ है, जो गिद्धों की किडनी पर असर करता है । किडनी खराब हो जाने से गिद्ध जल्दी मर जाते है ।

हॉर्नबिल

हॉर्नबिल दुनिया के सबसे आकर्षक पक्षियों में से है । गाय के सींग के समान अदभुत रंग-बिरंगी चोंच उस पर हड्डियों से बना हेलमेट उसकी ख़ास विशेषता है । इसी खूबी की वजह से इसे यह नाम दिया गया है । यह बुसेरोटिडी परिवार का पक्षी है, जो मुख्य रूप से एशिया, अफ्रिका, और मेलानेशिया के द्वीपों, जिनमे न्यू गिनी और फिजी आदि शामिल है, में पाया जाता है । 'ग्रेट हॉर्नबिल' भारत के अरुणाचल प्रदेश व केरल का राजकीय पक्षी है ।



हॉर्नबिल 


हॉर्नबिल पेड़ के कोटर या चट्टान की दरार में अपना घोंसला बनाता है । रंग-रूप के अलावा इसके आकार में भी काफी विविधता होती है । 'काला बौना हॉर्नबिल' मात्र 1.06 किलोग्राम और 30 सेंटीमीटर का होता है, वहीं 'सदर्न ग्राउंड हॉर्नबिल' का वजन 6.2 किलोग्राम और लम्बाई 1.2 मीटर तक होती है । नर का आकार मादा से बड़ा होता है । चोंच का आकार भी अलग-अलग होता है ।

इसकी विशाल चोंच गरदन की मजबूत मांसपेशियों और मेरुदंड से जुडी होती है । पैनी चोंच इन्हें लड़ने, पंखों को साफ करने, घोंसला बनाने और शिकार को पकड़ने में सहायता करती है । चोंच की इसी विशालता के कारण यह पक्षी गहरी और तेज आवाज करता है । हेलमेट के जैसी हड्डी की मजबूत संरचना शत्रु पर तेज प्रहार के लिए कारगर होती है ।

इसके पंखों का रंग काला, नीला, सलेटी, भूरा, सफ़ेद और मटमैला होता है । चोंच का रंग पीला, सफ़ेद, लाल और नारंगी होता है । मादा अबीसीनिया ग्राउंड हॉर्नबिल की त्वचा व गले का रंग नीला, जबकि नर का लाल व  नीला होता है ।

हॉर्नबिल की आँखें अन्य पक्षियों से अलग दूरबीन की तरह काम करती है । इसके लिए यह अपनी चोंच का इस्तेमाल भी करता है । इसकी बड़ी पलकें धूप से इसकी रक्षा करती है ।


हॉर्नबिल की कुछ प्रजातियां 


हॉर्नबिल की लगभग 55 प्रजातियां हैं । इनमे 24 प्रजातियां अफ्रिका में है । भारतीय उप महाद्वीप में इसकी 10 प्रजातियां है, जिनमें 9 प्रजातियां भारत और निकटवर्ती देशों में है । इनमें 'इन्डियन ग्रे हॉर्नबिल' की प्रजाति सब जगह फैली हुई है । इंडोनेशिया में हॉर्नबिल की 13 प्रजातियां है ।

हॉर्नबिल दिन में भ्रमण करने वाला पक्षी है । यह जोड़े में या समूह में विचरण करता है । यह सर्वभक्षी पक्षी मुख्य रूप से फल-फूल और छोटें जीवों को खाता है । यह अक्सर जोड़ा बनाकर साथ रहता है । मादा एक बार में छह सफ़ेद अंडे पेड़ के कोटर या चट्टान की दरार देती है ।

अंडे देने के बाद मादा अक्सर इस कोटर में अपने आप को कैद कर लेती है । नर व मादा खोल के मुंह को मिट्टी  की दीवार से बंद कर देते है । उसमे सिर्फ खाना पहुंचाने लायक ही छेद रह जाता है । इस दौरान नर फलों का गुदा मादा को भोजन के रूप में पहुंचाता रहता है । जब बच्चे बड़े हो जाते है, तो नर और मादा मिट्टी की दीवार को हटा देते है ।

हॉर्नबिल के सिर पर बना हेलमेट एक प्रकार की हड्डी होती है, जिसे 'हॉर्नबिल आइवरी' कहते है । इसकी चीन व जापान आदि देशों में नक्काशीदार वस्तुएं बनाने में बड़ी मांग है । इसी कारण मनुष्य ही इसका सबसे बड़ा शत्रु है ।